चुनानी वर्ष में नक्सली हो जाते हैं आक्रामक जाने इससे पहले कब-कब नक्सलियों ने नेताओं को बनाया था निशाना

जगदलपुर। बस्तर में चुनावी वर्ष का इतिहास रक्तरंजित रहा है। इस समय नक्सली निशाने पर राजनीतिक दल के नेता रहे हैं। मार्च से लेकर मई तक गर्मियों के मौसम में जंगल में दृश्यता बढ़ जाती है और नक्सली टीसीओसी चलाकर बड़े हमले करते हैं। मंगलवार को बीजापुर जिले के गंगालूर में जयभारत सत्याग्रह अभियान में नुक्कड़ सभा से लौटते समय नक्सलियों ने बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के काफिले की वाहन को निशाना बनाकर गोलीबारी की।
इस हमले के कुछ देर पहले ही बीजापुर विधायक की गाड़ी वहां से निकली थी, पर काफिले में पीछे आ रही नेलसनार जिला पंचायत सदस्य पार्वती कश्यप की वाहन के पहिए पर गोली लगी। समय के कुछ अंतराल से बड़ा हादसा टल गया और कोई जनहानि नहीं हुई।
सिलसिलेवार तरीके से तीन भाजपा नेताओं की हत्या
इसी वर्ष फरवरी माह में नक्सलियों ने सिलसिलेवार तरीके से तीन भाजपा नेताओं की हत्या की थी। पांच फरवरी को बीजापुर बीजेपी मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्केम, 10 फरवरी को नारायणपुर बीजेपी उपाध्यक्ष सागर साहू और 11 फरवरी को इंद्रावती नदी के पार दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले की सरहद पर बीजेपी नेता रामधर अलामी की हत्या की गई।
इन हमलों के बाद भी पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले बस्तर में परिस्थितियां बदली हुई हैं। आइजीपी बस्तर सुंदरराज पी ने बताया कि इस तरह के हमले को रोकने सुरक्षा बल को अतिरिक्त सुरक्षा बरतने निर्देशित किया है। इसके लिए सूचना तंत्र को मजबूत किया गया है।
विस्फोटक बरामद कर प्रायोजित हमले को नाकाम करने का कर रहे प्रयास
सुरक्षा बल लगातार क्षेत्र की सर्चिंग कर नक्सल गतिविधियों पर रोक लगाने प्रयास कर रहे हैं। लगातार आइईडी विस्फोटक बरामद कर प्रायोजित हमले को नाकाम कर रहे हैं। सुरक्षा बल पूरी तरह से अलर्ट है। आने वाले दिनों में नक्सल विरोधी अभियान को और भी तेज किया जाएगा।
टीसीओसी में नक्सलियों की बढ़ती सक्रियता पर रोक लगाने फोर्स अब अंदरुनी क्षेत्र तक घुस रही है। गश्ती अभियान को तेज किया है। लगातार अभियान से पिछले चार वर्ष में सुरक्षा बल की पकड़ अंदरुनी क्षेत्र तक संभव हुई है। 54 नए सुरक्षा कैम्प की स्थापना के बाद नक्सली अब बैकफुट पर हैं, इसलिए अब पहले जैसी वारदातों को अंजाम देना आसान नहीं रह गया है। इसके बाद भी नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने इस तरह के हमले कर रहे हैं।
चुनावी वर्ष में कर चुके हैं कई हमले
बस्तर में यह पहली बार नहीं है, जब नक्सलियों ने राजनीतिक दल के नेताओं पर हमले किए हैं। 25 मई 2013 को चुनाव के कुछ माह पहले कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा पर झीरम घाटी में हुए हमले में कांग्रेस की पूरी पीढ़ी ही लगभग खत्म हो गई। नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा सहित 31 लोग इस हमले में मारे गए थे।
इस हमले को राजनीतिक हत्याकांड साबित करने का प्रयास कई बार राजनीतिक दल कर चुके हैं। घटना के दस वर्ष बाद भी इसके पीछे की वजह सामने नहीं आ सकी। घटनाएं यहीं नहीं रुकी, 10 अप्रैल 2019 को दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर नक्सलियों ने एंबुश लगाकर आइईडी ब्लास्ट किया।
इसमें विधायक भीमा मंडावी सहित पांच लोग मारे गए। 20 अप्रैल 2012 को बीजापुर के भाजपा विधायक महेश गागड़ा के काफिले पर ग्राम सुराज अभियान से लौटते समय हमला किया था। उस दिन गागड़ा अपनी गाड़ी में न बैठकर दूसरी गाड़ी में थे, इसलिए बच गए।
इस घटना में पुरुषोत्तम सिंह, एक जिला पंचायत सदस्य व अन्य मारे गए थे। 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा में चुनाव प्रचार करने गए भाजपा नेता रमेश राठौर व सूर्यप्रताप सिंह की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। दंतेवाड़ा में कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष त्रिनाथ सिंह ठाकुर की गदापाल गांव के नजदीक हत्या कर दी थी।
2009 के आम चुनाव में नक्सलियों ने राज्य के तत्कालीन वनमंत्री विक्रम उसेंडी की सुरक्षा में लगी पुलिस पार्टी पर हमला किया था। इसमें उसेंडी बच गए पर सुरक्षा में लगे दो जवानों की मौत हो गई थी। फरसगांव के सरपंच छन्नाूराम कर्मा व कांकेर के इरपनार के सचिव वासू डे की हत्या कर दी थी। वहीं भोपालपटनम में जिला पंचायत सदस्य और भाजपा नेता जगदीश कोंड्रा की हत्या कर दी थी।
बस्तर में 114 लोगों को दी गई सुरक्षा
वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए बस्तर में राजनीतिक, सामाजिक व अन्य मिलाकर 114 लोगों को सरकार की ओर से जेड प्लस से लेकर एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। इसमें वर्तमान मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज, विधायक मोहन मरकाम, विक्रम मंडावी, देवती कर्मा, केदार कश्यप, महेश गागड़ा सहित अन्य सम्मिलित है।