नरोदा गाम केस में स्पेशल कोर्ट का फैसला आज संभव मायाबेन कोडनानी और बाबू बजरंगी भी हैं आरोपी

साल 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े नरोदा गाम मामले में गुरुवार का दिन अहम है। गुजरात की एक विशेष अदालत नरोदा गाम में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों की हत्या के मामले में गुरुवार को निर्णय सुना सकती है। इस मामले के आरोपियों में भाजपा की पूर्व विधायक मायाबेन कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी शामिल हैं।
इस मामले में कुल 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था। अब तक इनमें से 18 आरोपियों की मौत हो चुकी है।
विशेष जांच एजेंसी (एसआईटी) मामलों के विशेष न्यायाधीश एस के बक्शी की अदालत 68 आरोपियों के खिलाफ फैसला सुनाएगी।
विशेष अभियोजक सुरेश शाह के मुताबिक, अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान क्रमशः 187 और 57 गवाहों की जांच की। लगभग 13 साल तक चले इस केस के दौरान छह जज बदले गए।
गवाह के रूप में पेश हुए थे अमित शाह
सितंबर 2017 में अमित शाह माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे। कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि अमित शाह को यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि वह गुजरात विधानसभा में और बाद में सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थी, न कि नरोदा गाम में, जहां हिंसा हुई।
सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी विधानसभा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस दंगा), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) के तहत केस चला है।
इन अपराधों के लिए अधिकतम सजा मौत है। माया कोडनानी, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार में मंत्री थीं। नरोदा पाटिया दंगा मामले में दोषी ठहराया गया था और 28 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। नरोदा पाटिया में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। बाद में उन्हें गुजरात हाईकोर्ट ने राहत दे दी थी।
ऐसे हुई थी गुजरात दंगे की शुरुआत
27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी एस-6 में आग लगा दी गई थी। इस ट्रेन में अयोध्या से आए कारसेवक गुजरात लौट रहे थे। इसमें 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी।
इसके विरोध में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल व अन्य संगठनों ने गुजरात बंद का आह्वान किया था। एक उग्र भीड़ ने 28 फरवरी को नरोडा गाम की मुस्लिम बस्ती पर हमला कर दिया था, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें महिलाएं भी शामिल थीं।