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SAGE GROUP BHOPAL के मालिक की पत्नी को 3 साल जेल की सजा, सहकारी बैंक के अधिकारी भी दोषी

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सहकारी बैंक द्वारा की गई एक नीलामी में लोकायुक्त द्वारा घोटाला पकड़ा गया। यह घोटाला भोपाल की स्पेशल कोर्ट में प्रमाणित हो गया। इसी मामले में भोपाल के करोड़पति कारोबारी संजीव अग्रवाल की पत्नी श्रीमती किरण अग्रवाल को 3 साल जेल की सजा सुनाई गई है। किरण के अलावा सहकारी बैंक के तीन अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति को भी समान सजा सुनाई गई है। श्रीमती किरण अग्रवाल द्वारा न्यायालय के इस फैसले को चुनौती दी गई है। सहकारी बैंक भोपाल के तीन अधिकारी सहित 5 लोगों को 3-3 साल जेल की सजा विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) मनोज कुमार सिंह की अदालत ने किरण अग्रवाल और कोमल लुल्ला सहित 5 लोगों को तीन-तीन साल के सश्रम कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। स्पेशल कोर्ट ने सहकारी बैंक के तत्कालीन विक्रय अधिकारी विजेंद्र कौशल, संयुक्त पंजीयक अशोक मिश्रा, सहकारिता निरीक्षक APS कुशवाह को भी दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। जमीन की नीलामी में घोटाला हुआ: लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट बकानिया गांव के किसान अशोक शर्मा ने 1995 में मोटर और पंप के लिए सहकारी बैंक से 29 हजार कर्ज लिया था। अफसरों ने 2007 में उनकी 4.92 एकड़ कृषि भूमि कौड़ियों के दाम नीलाम करा दी। मामले में फर्जी नोटशीट तैयार करने और बिना जांच नीलामी को मंजूरी देने की बात सामने आई है। लोकायुक्त ने जांच के बाद चार्जशीट पेश की। सरकारी गाइडलाइन के अनुसार, किसान अशोक शर्मा की 4.92 एकड़ जमीन 3 लाख 98 हजार रुपए थी, लेकिन बैंक अफसरों ने गोलमाल कर इसे महज 1 लाख 50 हजार रुपए में नीलाम कर दिया। मिलीभगत के इस खेल में न सिर्फ किसान, बल्कि सरकार को स्टाम्प ड्यूटी में भी नुकसान हुआ है। सरकारी रेट के अनुसार किसान को 2 लाख 48 हजार रुपए का नुकसान हुआ। हालांकि, जमीन का मार्केट रेट बहुत ज्यादा है। किरण अग्रवाल ने कहा: पति के कहने पर हस्ताक्षर किए थे, मुझे कुछ नहीं पता लोकायुक्त की जांच में कई तरह के खेल सामने आए हैं। बैंक अधिकारियों ने नीलामी के लिए गलत प्रक्रिया अपनाई। कागजात में हेराफेरी कर जमीन को कम कीमत पर बेचा। आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के लिए दोषी पाया गया है। कोर्ट ने कहा कि, किरण अग्रवाल और कोमल लुल्ला ने बैंक अधिकारियों से मिलकर जमीन खरीदी है। हालांकि, कोर्ट को उन्होंने बताया है कि जमीन उन्होंने नीलामी प्रक्रिया के हिसाब से खरीदी है। किरण अग्रवाल की ओर से यह भी बताया गया कि वह एक गृहिणी हैं। इस संबंध में उन्हें कुछ नहीं पता। पति जहां कहते हैं, वहां हस्ताक्षर कर देती हैं। (सागर इंस्टिट्यूट ऑफ़ रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी भोपाल की वेबसाइट के अनुसार MRs. KIRAN AGRAWAL, इंस्टिट्यूट की Chairperson है।)

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