किसी भी उम्र में हो सकती है मिर्गी की बीमारी

जबलुपर। मिर्गी उस अवस्था को कहते हैं जब रोगी के किसी एक अथवा चारों हाथ, पैर तथा गर्दन में अचानक ऐंठन के साथ बेहोशी जैसी स्थिति निर्मित होती है। रोगी चक्कर खाकर अचानक बेहोश हो जाता है। एकटक देखते रहना, अचानक बेहोश होकर गिर जाना एवं अकड़ जाना, शरीर में या शरीर के किसी एक हिस्से में आकस्मिक झुनझुनी या कंपन आने के बाद बेहोशी इसके लक्षण हैं। न्यूरोलाजिस्ट डा. अनुपम साहनी ने बताया कि मिर्गी की शिकायत कभी भी किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती है। सामान्यतः यह बच्चों व बुजुर्गों में ज्यादा पाई जाती है। मिर्गी में दिमाग की कोशिकाओं से अधिक मात्रा में बिजली की तरंगे शार्ट सर्किट होती हैं। जिससे दिमाग के एक या एक से अधिक हिस्सों में बिजली की कार्यवाही असाधारण तरह से अस्त-व्यस्त हो जाती है। इसी कारण से आकस्मिक दौरा या कंपकपी आने के बाद बेहोशी आ जाती है। इसे आमतौर पर मिर्गी, फिट, दौरा, एपीलेप्सी या सीजर कहते हैं।
मिर्गी के प्रमुख कारणः
जन्म के समय की सिर में आघात, बच्चे का जन्म के समय देर से रोना, सिर के घाव (सिर में चोट), दिमागी बुखार (मेनिनजाइटिस, एन्सेफेलाइटिस), ट्यूमर, कैंसर, बच्चों में तेज बुखार से, दिमाग की अन्य बीमारियां जैसे ब्रेन हेमरेज, खून का थक्का जमना, टीबी या सिस्ट की गठान।
मिर्गी के मरीज सावधानी रखेंः
भोजन व सोेने का समय निर्धारित कर लें, उपवास न रखें, 30-45 मिनट से ज्यादा टीवी का कम्प्यूटर का प्रयोग न करें, अधिक मात्रा में मदिरा (शराब) का सेवन न करें, वाहन न चलाएं, नदी-तालाब-वाटर पार्क आदि में तैरने के लिए न जाएं, भारी मशीन व बिजली की मशीन पर काम न करें, ऊंचाई पर काम न करें, बुखार होने पर उसका तुरंत इलाज कराएं, समय पर दवाओं का सेवन करें।
दौरा पड़ने पर क्या करेंः
किसी मरीज को मिर्गी का दौरा पड़ने पर शांत रहें, मरीज को किसी सुरक्षित जगह पर किसी भी करवट लिटा दें और उसके मुंह में पानी, खाना न डालें, मरीज के सभी चुस्त कपड़े ढीले कर दें, अगर मरीज चश्मा या नकली दांत पहने हैं तो निकाल दें, दांतों के बीच किसी नरम वस्तु को रख दें जिससे मरीज अपनी जीभ कुचल न सके, मरीज के पास भीड़ न लगाएं जिससे उसको सांस लेने में दिक्कत न हो, अगर दौरा जो पांच मिनिट से ज्यादा चले, ज्यादा चोट लगी हो, सांस लेने में दिक्कत हो। गर्भवती स्त्री हो तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं।
क्या न करेंः
घबराएं नहीं, रोगी के मुंह में कुछ भी नहीं डालें जैसे कि हाथ, चम्मच, पेन आदि, जब तक रोगी सामान्य अवस्था में न आ जाए उसे कुछ भी पिलाने की कोशिश न करें, झटके तीन मिनट से अधिक समय तक अाएं तो चिकित्सक द्वारा सुझाए अनुसार मिडाजोलाम दवाई का स्प्रे करें।
दवाओं के दुष्प्रभावः
मिर्गी की बीमारी में प्रयोग होने वाली कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं। जिनमें शरीर में दाने निकलना व खुजली होना, अत्यधिक सुस्ती या चक्कर आना, भूख कम लगना, हाथो में कंपन होना, बालों का अत्यधिक गिरना, मुंह में छाले होना, माहवारी अनियमित होना, पीलिया होना, वजन बढ़ना आदि। मिर्गी का इलाज संभव है। मिर्गी का मरीज सामान्य लोगों की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है।