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राजस्थान

कुरीतियां दूर करने के लिए फिल्म स्क्रीनिंग से महिलाओं को किया जागरूक

जयपुर | राजस्थान में ‘हॉकी वाली सरपंच’ के नाम से प्रख्यात नीरू यादव ने फिल्म निर्देशक अरविंद चौधरी के साथ मिल कर अपने गांव में महिला जागरूकता के लिए तीन फिल्मों की स्क्रीनिंग आयोजित कीं। अरविंद चौधरी वर्षों से महिला सशक्तीकरण के लिए फिल्में बना रहे हैं। उन्हें नीरू यादव से मिलकर ग्रामीण स्तर पर विशेष रूप से महिला दिवस पर इन फिल्मों की स्क्रीनिंग का विचार मिला। महिलाओं के अधिकार पर जागरूकता के लिए अपने ही गांव में स्क्रीनिंग का आयोजन किया। इसमें लंबी अहीर गांव की सरपंच नीरू यादव का पूरा समर्थन मिला।परी, बींदणी और हथ रपिया जैसी फिल्में देखने के लिए गांव की 100 से ज्यादा महिलाएं इकट्ठा हुईं।

ये फिल्में महिलाओं के खिलाफ समाज के मिथक और कुरीतियों के ख़िलाफ महिलाओं को एक साथ में होकर लड़ने की प्रेरणा देती हैं। हथ रपिया फिल्म चूड़ा प्रथा पर समाज की कुरीतियों को चरितार्थ करती है और इनके बारे में जागरूकता पैदा करती है।राजस्थान के झुंझुनूं जिले में बुहाना तहसील लंबी अहीर की सरपंच, नीरू यादव ने कहा, फिल्म निर्देशक अरविंद चौधरी के प्रयासों का समर्थन करने के लिए मैंने यह फिल्म स्क्रीनिंग प्रायोगिक प्रयास के रूप में आयोजित की और मुझे आश्चर्य हुआ कि हमारे गांव से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। सभी ने फिल्म देखने का आनंद लिया और फिल्मों में दर्शाए हुए संदेश को अपनाया भी। लघु फिल्म हथ रपिया के माध्यम से गर्भवती विधवा की पीड़ा और चूड़ा प्रथा को बड़े पर्दे पर बयां किया गया है।

इस शॉर्ट फिल्म को जयपुर में 9वें राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट शॉर्ट फिल्म का अवॉर्ड भी मिल चुका है। फिल्म की पृष्ठभूमि झुंझुनूं जिले के भावठडी व पिलानी से जुड़ी है।फिल्म निर्देशक अरविंद चौधरी ने कहा, महिला दिवस पर लंबी अहीर में फिल्म की स्क्रीनिंग ने मुझे महिला सशक्तिकरण का प्रसार करने के लिए अन्य गांवों में इस तरह की स्क्रीनिंग की व्यवस्था जारी रखने के लिए प्रेरित किया है। मेरी अपनी बहन चूड़ा प्रथा की शिकार हो गई थी और उसे जेल की तरह चारदीवारी में बंद कर दिया गया था। अपनी मर्जी से जीवन जीने की अनुमति नहीं थी।

मैंने इस पर फिल्म बनाकर जागरूकता पैदा करके अपने गांवों की और बहनों को बचाने के लिए फिल्में बनाना शुरू किया।वहीं, 40 साल के संतोष जांगिड़ ने कहा, हमने अपने गांव में इस तरह की कुरीतियां देखी हैं। पहले पति ने उसे छोड़ दिया, दूसरी बार उसकी शादी उसके देवर से कर दी गई और फिर उसकी शादी उसके दूसरे देवर से जबरदस्ती करा दी गई। इससे उसका जीवन दयनीय हो गया। 50 साल की विमला यादव कहती हैं, चूड़ा प्रथा का प्रकोप राजस्थान के कई गांवों में जारी है।

कई बार महिलाओं को काम करने की अनुमति नहीं दी जाती है।सरपंच नीरू यादव विभिन्न पहल कर गांव की महिलाओं को प्रेरित करती रहती हैं। हाल ही में उन्होंने अपना वेतन गांव की लड़कियों को हॉकी खेल के लिए प्रशिक्षित करने के लिए दान कर दिया और एक राज्य स्तरीय टीम बनाई। उन्होंने पीएमकेवीवाई योजना के तहत दस लड़कियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया और सभी लड़कियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी प्राप्त करने में मदद की। इस सफल परियोजना के बाद करीब 15 और लड़कियां कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए नीरू यादव से जुड़ गई हैं और जल्द ही एक नया बैच शुरू होगा।

 

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