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FIR: पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल प्रबंधन पर ;पेरेंट्स पर एक ही दुकान से किताब-यूनिफार्म खरीदने का दबाव बनाने पर हुई कार्रवाई

किताब-यूनिफार्म खरीदने का दबाव बनाने पर हुई कार्रवाई

कलेक्टर आशीष सिंह ने सोमवार को आदेश जारी करते हुए DEO और SDM को जांच करने को कहा था। पेरेंट्स भी अफसरों से शिकायत कर सकते हैं।

कलेक्टर ने कहा- तत्काल कार्रवाई करें

इसकी शिकायत स्कूल शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना तरफ से की गई थी। छोला थाना पुलिस ने पेरेंट्स पर एक ही दुकान से यूनिफार्म, किताबें खरीदने का दबाव बनाने पर पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल प्रशासक अंकित जैन के खिलाफ एफआईआर की है। प्रबंधन के खिलाफ भोपाल कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है।  बताया गया कि अभिभावकों ने स्कूल शिक्षा विभाग से शिकायत की थी कि स्कूल प्रबंधन एक ही दुकान से यूनिफार्म, किताबें खरीदने का दबाव बना रहा है। ऐसा नहीं करने पर बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं देने की धमकी दी जा रही है। जांच के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया।

 लापरवाही मिली
प्रशासन की टीम मंगलवार को स्कूल में जांच करने पहुंची। जांच में सामने आया कि शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के पूर्व एवं वर्तमान में भी लेखक एवं प्रकाशक के नाम तथा मूल्य के साथ कक्षावार पुस्तकों की सूची सूचना पटल पर प्रदर्शित नहीं की गयी है। न ही शाला के विद्यार्थियों को मांगने पर उपलब्ध करायी जा रही है। ताकि विद्यार्थी व उनके अभिवाकगण उन पुस्तकों को अपनी सुविधानुसार खुले बाजार से क्रय कर सकें। स्कूल प्राचार्य द्वारा स्कूल में प्रत्येक कक्षा में लगने वाली पाठय पुस्तकों तथा प्रकाशक की जानकारी को बेबसाइट, email id deo bho-mp@nic. in भी नहीं भेजा गया। स्कूल की पुस्तकें व यूनीफार्म मात्र एक दुकान अरुणा सेल जेके रोड भोपाल पर ही उपलब्ध है। अन्य कहीं से भी पुस्तकें व यूनीफार्म नहीं खरीदी जा सकती हैं।

कलेक्टर ने प्राइवेट स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं के एकाधिकार खत्म करने के लिए धारा 144 के तहत आदेश जारी किए हैं। अब शहर के प्राइवेट स्कूलों के संचालक स्टूडेंट्स या पेरेंट्स को निर्धारित दुकानों से ही यूनिफार्म, जूते, टाई, किताबें, कापियां आदि खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। न ही किताबों के पूरे सेट खरीदने के लिए बाध्य किया जा सकेगा। हालांकि, 3 अप्रैल से सभी स्कूल खुल चुके हैं। ऐसे में अधिकांश पेरेंट्स यूनिफार्म और किताबें पहले ही खरीद चुके हैं। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने उन्हें एक ही दुकान से यूनिफार्म और किताबें खरीदने को मजबूर किया। पेरेंट्स का कहना है कि यदि आदेश पहले निकला होता तो स्कूल संचालकों की मनमानी नहीं चलती।

महंगी यूनिफार्म-किताबें खरीदने को मजबूर
भोपाल में पेरेंट्स महंगी यूनिफार्म और किताबें खरीदने को मजबूर है। इस कारण उन्हें मुंहमांगी कीमत चुकानी पड़ रही है। पहली से आठवीं तक की किताबों के सेट 2500 से 6000 रुपए तक मिल रहे हैं। यदि पेरेंट्स दूसरी दुकानों पर जाते हैं तो वहां नहीं मिल पाती। ऐसा ही यूनिफार्म को लेकर भी है। स्कूल का लोगो लगी यूनिफार्म निर्धारित दुकानों से ही मिल रही है। ऐसे में कक्षा छह से आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों की शर्ट-पेंट ही एक हजार रुपए या इससे ज्यादा में मिल रही है। बेल्ट, टाई भी पेरेंट्स मुंहमांगें दाम पर खरीदने को मजबूर है।

 

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