भारत भवन के नजदीक में एक साल के भीतर आकार लेगा कला ग्राम

भोपाल। भारत भवन परिसर में एक नया कला केंद्र कला ग्राम बनाने की घोषणा प्रदेश सरकार द्वारा कई सालों से की जा रही थी, अब घोषणा जमीन पर उतरती हुई दिख रही है।
इसके लिए भारत भवन के समीप जमीन का आवंटन हो चुका है, जिस पर नगर निगम द्वारा बाउंड्रीबाल बनाने का कार्य पूरा हो चुका है। भारत भवन के 41वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री ने इसे एक साल के भीतर पूरा कराने की घोषणा भी गत दिनों की है। वर्ष- 2023- 2024 के बजट में इसके लिए राशि का प्रविधान भी किया गया है। नवदुनिया ने कला ग्राम के निर्माण की प्रगति, इसके स्वरूप और कला तथा कलाकारों को इससे होने वाले लाभ के बारे जाना। भारत भवन से लगे बड़ी झील के किनारे प्राकृतिक वातावरण में कलाग्राम स्वरूप लेगा। एक एकड़ पांच डेसिमल जमीन पर कला ग्राम में देशभर के कला रूप, पेंटिंग, महाभारत-रामायण पर आधारित लोक शैलियों पर अध्ययन, प्रदेश और देश की संस्कृति के विभिन्न पक्षों पर परिसंवाद, व्याख्यान, फिल्म प्रदर्शन और डाक्यूमेंटेशन का केंद्र बनेगा।
पहली बार 2008 में हुई थी घोषणा
कलाग्राम की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2008 में कलाकारों की पंचायत में की थी। उसके बाद भारत भवन प्रबंधन ने जगह चिह्नित कर जमीन के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन जमीन नहीं मिल सकी थी। इस वजह से कला ग्राम प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था। अक्टूबर 2022 में एक एकड़ पांच डेसिमल जमीन भारत भवन के पीछे तालाब के किनारे की आवंटित हुई। बाउंड्रीवाल बनने के बाद इस पर गार्डन तैयार होगा और स्टूडियो बनाए जाएंगे।
यह होगा कलाग्राम में
भारत भवन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रेमशंकर शुक्ला ने बताया कि कला ग्राम के अंतर्गत मध्यप्रदेश और देश के जनजातीय कलाकारों, संगीतकारों, साहित्यकारों को भारत भवन में आमंत्रित किया जाएगा, जहां वे कलाकार, साहित्यकार आवश्यक सुविधा, आधारभूत संरचना, उपकरणों और विशेषज्ञों की मदद से अपनी रचनाशीलता का विस्तार कर सकेंगे। युवा कलाकार प्रशिक्षण भी प्राप्त करेंगे, आधुनिक कला-साहित्य के नामी कलाकारों के साथ आर्ट एक्सचेंज भी करेंगे और अपनी रचनात्मक दृष्टि और कला शैलियों से आधुनिक कला को नया आयाम देंगे।
हरित भूमि होने की वजह से नहीं होगा पक्का निर्माण, बांस से बनाए जाएंगे स्टूडियो
भारत भवन के विस्तार की परियोजना मूर्त रूप ले रही है। कला ग्राम पूरी तरह जीवंत और कला के एकाग्र स्वरूप को निखारने में मदद करेगा। यहां पर चित्रकार, आदिवासी कलाकार और साहित्यकार रहकर अपनी कला को संवार सकेंगे। स्थापना के बाद पहली भारत भवन का विस्तार किया जा रहा हैञ कला ग्राम का निर्माण भारत भवन की हरित भूमि में किया जाएगा, इसलिए ये निर्माण पक्का नहीं होगा। यहां पर ज्यादातर निर्माण बांस और लकड़ियों का होगा।
अलग-अलग स्टूडियो बनेंगे
कलाग्राम में सभी कलाओं रूपंकर, संगीत, साहित्य, रंगमंच आदि से जुड़े स्टूडियो तैयार किए जाएंगे। इन मल्टीपल स्टूडियो में पेंटिंग्स बनाने के लिए अलग स्टूडियो होगा, जहां चित्रकार या कोई भी कलाकार बिना किसी गतिरोध के काम कर सकेगा। इसी प्रकार सिरेमिक या मिट्टी के स्कल्पचर बनाने के लिए भी एक खास जगह तैयार की जाएगी। इस स्टूडियो में माटी को आकार देने वाले कलाकार तरह-तरह की आकृतियां गढ़ेंगे। इसी प्रकार साहित्यकारों के लिए विशेष स्थान इस स्टूडियो में होगा। जहां वह अपनी कल्पना को अपने विचारों के साथ कैनवास पर उतार सकेंगे।
यह होगा खास
ओपन थिएटर – युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने और उन्हें मंच प्रदान करने के उद्देश्य से ओपन थिएटर तैयार किया जाएगा। जहां युवा प्रतिभागी कविता, गीत-संगीत सहित बैंड आदि की प्रस्तुति दे सकेंगे।
स्कल्पचर गार्डन – कलाग्राम में स्कल्पचर गार्डन मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा। इसमें कलाकार यहीं रहकर स्कल्पचर तैयार करेंगे। वरिष्ठ कलाकारों से युवा कलाकारों को इंटरेक्शन का मौका मिलेगा।
आर्ट वर्क स्टूडियो – परिसर में तीन से चार अलग-अलग आर्ट वर्क स्टूडियो तैयार किए जाएंगे। यह स्टूडियो बैंबू से तैयार होंगे, जिसमें विभिन्न जनजातीय कलाकारों को अपनी कला को आकार देने का मौका मिलेगा।
भारत पहले निर्देशक जे स्वामीनाथन के समय में जो मौका कलाकारों को मिलता था, उसकी शुरुआत फिर से होनी चाहिए। भारत भवन से बहुत अच्छे कलाकार निकले हैं लेकिन कई सालों से कला केंद्र सुसुप्त अवस्था में है। कला ग्राम के माध्यम से कलाकारों ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षण और अवसर मिलेगा। नये कलाकारों का जुड़ाव यहां से होना जरूरी है।
– भूरी बाई, पद्श्री से सम्मानित भील चित्रकार
कला ग्राम के लिए जमीन आवंटन और सर्वे होने के बाद कला ग्राम के स्वरूप का लेकर अभी मुझे कोई जानकारी नहीं है। कला ग्राम कैसा होगा और इससे कला और कलाकारों को कैसे लाभान्वित किया जा सकता है, इसको लेकर मेरी किसी से चर्चा नहीं हुई है। हो सकता है कि शासन स्तर पर तैयारी की जा रही हो।