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मध्यप्रदेश

पीओ-पर्यवेक्षकों के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी अवकाश पर ठप पड़ सकता है काम

जबलपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षकों ने 15 मार्च से सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा पहले से ही कर रखी थी। लेकिन उनके अनिश्चितकालीन अवकाश से प्रशासन के समक्ष पैदा होने वाली चुनौतियों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने और बढ़ा दिया। विभाग का यह मैदानी अमला भी अब अनिश्चितकालीन अवकाश पर चला गया है। अपने ग्रेड-पे और वैतनिक विसंगतियों सहित अन्य मांगों को लेकर वर्षों से शासन के साथ पत्राचार कर रहे प्रदेश के सीडीपीओ एवं पर्यवेक्षकों ने मार्च महीने की शुरूआत से ही सरकार को अल्टीमेटम दे रखा था। संयुक्त मोर्च के बैनर तले उनका कहना रहा कि 15 मार्च तक उनकी समस्याओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकाेंण नहीं अपनाया गया तो वे 15 मार्च से ही अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। सरकार के प्रतिनिधियों के साथ 10 मार्च को संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों की चर्चा भी हुई, लेकिन उसके बावजूद कोई समाधान नहीं निकल पाया। अफसरों के आंदोलन को ताकत देने प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका भी 15 मार्च से ही हड़ताल पर चली गईं। इन सभी ने भी अपनी कुछ मांगों को शासन के समक्ष रखकर उन्हें पूरा करने की बात कही है। इस आंदोलन के चलते जिले के 13 परियोजना अधिकारी, 93 पर्यवेक्षक और करीब साढ़े चौबीस सौ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व इतनी ही सहायिका हड़ताल पर चली गई हैं। इस आंदोलन के चलते महिला एवं बाल विकास विभाग का पूरा जमीनी अमला घर पर बैठ गया है।

सभी जिलों मेें सामूहिक अवकाशः

संयुक्त मोर्चा केे प्रांतीय उपाध्यक्ष विकेश राय का कहना है कि इस मामले मेंं सभी जिलों में मोर्चा से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी अनिश्चितकालीन अवकाश पर चले गए हैं। प्रदेश संगठन की ओर से अपने आंदोलन काे गति प्रदान करने रणनीति तैयार की जा रही है। बिना कोई समाधानकारक निष्कर्ष तक पहुंचे इस बार की लड़ाई शांत नहीं होगी। उन्होंने दावा किया कि इस आंदोलन के चलते केवल लाड़ली बहना योजना नहीं बल्कि विभाग से जुड़ी सभी योजनाओें का कार्यान्वयन ठप पड़ जाएगा।

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