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मध्यप्रदेश

ठाकुर जी हर चीज भूल जाएंगे तुलसी धारण करने वाले को याद रखेंगे

भोपाल। शहर के टीटी नगर दशहरा मैदान देवकीनंदन ठाकुर महाराज की रविवार से श्रीमद् भागवत कथा शुरू हुई। पहले दिन देवकीनंदन महाराज ने श्रद्धालुओं से कहा कि भगवान

श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा यदि तू जीत गया तो पृथ्वी पर राज करेगा। ‘वीर भोग्य वसुंधरा’ वीर योद्धा जो होते हैं। इस भूमि का भोग करते हैं। स्वर्ग में जाकर आनंद ले भगवान की भक्ति करते हैं। यदि कथा पंडाल में माताएं

बहन सोने की चेन पहनकर चलेंगे तो गोविंद ठाकुर जी को प्रिय नहीं लगेंगे। अपने गले में तुलसी का माला धारण करने महत्व बताया। तुलसी धारण करने और सूखी हुई तुलसी की लकड़ी में रुई लगाकर आप भगवान की आरती करते हो वो प्रसन्न होते हैं। ठाकुर जी भूल जाएंगे कि तुम पापी हो, ठाकुर जी भूल जाएंगे कि तुम्हारे कर्म कैसे

हैं, ठाकुर जी हर चीज भूल जाएंगे, सिर्फ एक चीज याद रखेंगे किसने तुलसी धारण की हुई है। आप अनेक कई के पकवान बनाकर ठाकुर जी के आगे रख दो, जलेबी रख दो, दूध रख दो, रबड़ी रख दो, रसगुल्ला रख दो, ठाकुर जी उनकी तरफ देखेंगे भी नहीं।

ठाकुर महाराज ने इंदौर में हुए बावड़ी हादसे पर संवेदना जताई। श्रद्धालुओं से कहा कि अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें। श्रीमद् भागवत कथा में आयोजक भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री राहुल कोठारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

धार्मिक परंपरा, संस्कृति आदि का पालन करना हम सबका दायित्व है

श्रीमद् भागवत कथा देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की प्रारम्भ में यह की भागवत का महात्यम क्या है ? एक बार सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया की कलियुग के लोगों का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगो की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगो के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है क्योकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है। और फिर कलियुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया भागवत कथा। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा। इस सांसारिक जीवन में जो कुछ भी प्राप्त किये हो सब किराए के मकान की तरह है। खाली करना ही पड़ेगा।

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