पश्चिम मध्य रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी की जांच में बढ़ा दबाव विभागीय जांच सुस्त

जबलपुर । जबलपुर रेलवे मंडल की सीमा में लगे भिटौनी-शहपुर रेलवे स्टेशन से पास से लगभग 40 टन से ज्यादा लोहे की पटरियां चोरी हो गई, लेकिन इसकी खबर न तो जबलपुर रेल मंडल के अधिकारियों को लगी और न ही मंडल से सटे पश्चिम मध्य रेलवे जोन में बैठी विजलेंस को । आरपीएफ द्वारा मामला उजागर करने के बाद हरकत में आई रेलवे विजलेंस ने इसकी जांच शुरू कर जबलपुर मंडल के इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों से पूछताछ की, लेकिन जैसे ही पश्चिम मध्य रेलवे जोन में बैठे इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों को दबाव आया, जांच को ठंडे बस्ते में डाल दी गया। सूत्र बताते हैं कि ट्रैक पर पटरी बिछाने और पुरानी पटरियों के रखरखाव का जिम्मा मंडल के इंजीनियरिंग विभाग का है।
इधर मुख्यालय से वरिष्ठ अधिकारी भी इंजीनियरिंग विभाग से ही जुड़े हैं। विभागीय साख को बचाने के लिए अधिकारियों ने अपने विजलेंस अधिकारियों की जांच में हस्ताक्षेप कर इसे ठंडा कर दिया है। यही वजह है कि एक ओर जहां आरपीएफ ने अब तक चोरी की 20 टन से ज्यादा लोहे की पटरियां बरामद कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया, वहीं विभागीय जांच के नाम पर विजलेंस अभी भी पूछताछ में जुटी है, जबकि उनके ही अधिकारी और कर्मचारी, इस बड़ी चोरी में मुख्य दोषी साबित हो रहे हैं।
अधिकारियों के सामने हो रही पूछताछ
विजलेंस की जांच में अभी तक जितनों से पूछताछ की गई है, उसकी हर रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी जा रही है। यहां तक की विजलेंस के नाक के नीचे से पटरियां चोरी हुईं और यहां तक की पुरानी पटरी की जगह पुरानी पटरी ही लगा दी गई, लेकिन इसमें अभी तक किसी को दोषी साबित नहीं किया गया। हालांकि इस मामले की खबर अब रेलवे बोर्ड और मंत्रालय तक जा पहुंची है। हर जांच की पूरी जानकारी सीधे रेलवे बोर्ड मांगी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक रेलवे बोर्ड के बढ़ते दबाव को देखते हुए जोन के अधिकारियों ने विजलेंस को जांच धीमी करने के निर्देश दे दिए हैं। वहीं आरपीएफ अभी तक मंडीदीप में फैक्ट्री के मैनेजर को नहीं पकड़ सकी है। वो अभी तक फरार है। उसके गिरफ्तार होने के बाद ही साफ होगा कि इतनी बड़ी मात्रा में रेलवे की पटरियां, जबलपुर से भोपाल के मंडीदीप कैसे पहुंचीं।