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मध्यप्रदेश

कचरा निष्पादन के टेंडर फेल सातों कंपनी अपात्र

ग्वालियर। स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 में ग्वालियर के 200 अंक कटेंगे। कचरा निष्पादन को लेकर जो टेंडर प्रक्रिया चल रही थी वह फेल गई, क्योंकि सातों कंपनियों में कोई भी केंद्र की गाडइलाइन पर खरा नहीं उतर सका। यह तो हो गया लेकिन इसके बाद नगर निगम ने भी तत्परता नहीं दिखाई इस प्रक्रिया में लंबा समय लग गया,अब दोबारा नए सिरे से कवायद होगी, लेकिन देर हो गई। केदारपुर और बुद्धा पार्क स्थित लैंडफिल साइट पर 15 साल से डंप पड़े साढ़े सात लाख क्यूबिक टन कचरे के निष्पादन के लिए यह सब होना है। प्रक्रिया में शामिल होने वाली सात कंपनियां टेंडर की शर्तें पूरी नहीं कर पाई हैं। इसके चलते सातों कंपनियों को अपात्र घोषित कर दिया गया है। यदि टेंडर प्रक्रिया पूरी कर कार्यादेश भी जारी हो जाता, तो निगम को आधे अंक प्राप्त होते, लेकिन अब ये आधे अंक भी नहीं मिल पाएंगे।

लैंडफिल साइट पर डंप पड़े कचरे का वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारण करने के लिए की गई टेंडर प्रक्रिया के तकनीकी मूल्यांकन में बड़ी विचित्र स्थिति खड़ी हो गई। इस प्रक्रिया में आदर्श भारत एनवायरो प्राइवेट लिमिटेड. आकांक्षा इंटरप्राइजेज, भूमि ग्रीन एनर्जी, इकोस्तान इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स डीके इंटरप्राइजेज, योगेश इंटरप्राइजेज और जिग्मा ग्लोबल एनवायरोन साल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड शामिल थीं। प्रक्रिया में भाग लेने वाली सातों कंपनियों के दस्तावेजों में शर्तों के अनुसार कोई न कोई कमी थी। इसके चलते एक या दो कंपनियों को अयोग्य घोषित करना निगम के लिए मुश्किल साबित हो रहा था। इस समस्या को दूर करने के लिए नगर निगम के अधिकारियों ने कमियां पूरी करने संबंधी दस्तावेजों की मांग की थी, लेकिन सातों कंपनियां दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहीं। इसके चलते निगम को मजबूरी में टेंडर प्रक्रिया रद करनी पड़ी। अब इसके लिए निगमायुक्त हर्ष सिंह से स्वीकृति लेकर नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। स्वच्छ सर्वेक्षण नजदीक होने के कारण सिर्फ 15 दिन की अवधि के टेंडर किए जाएंगे।

इसलिए फेल हो रहीं कंपनियां

– साढ़े सात लाख क्यूबिक टन कचरा डंप है, इतने कचरे का पहले निष्पादन किया हो, यह पात्रता नहीं मिली।

– 33 .16 करोड़ टेंडर राशि है, इतनी राशि का पहले काम कर चुके हों, ऐसी कंपनी को ही काम मिलेगा। 200 अंकों का होगा नुकसान नगर निगम के अधिकारी तीन माह बीतने के बाद भी इस टेंडर प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाए हैं। यदि टेंडर कर कार्यादेश जारी कर दिया जाता, तो निगम को स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में 200 अंकों का फायदा होता। अब अगले माह सर्वेक्षण के लिए केंद्रीय दल आने की पूरी संभावना है और नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया की जा रही है। इसका नुकसान शहर को सर्वेक्षण में अंकों की कटौती के रूप में उठाना पड़ेगा।

चार तरह से करना है कचरे का निष्पादन

टेंडर की शर्तों के अनुसार लैंडफिल साइट व बुद्धा पार्क पर पड़े कचरे का सर्वप्रथम सेग्रीगेशन किया जाना है। इसके लिए एक प्लांट लगाकर कन्वेयर बेल्ट को चलाया जाएगा। इस बेल्ट पर कचरे को सूखा, गीला, सालिड वेस्ट, प्लास्टिक आदि श्रेणियों में अलग-अलग कर लिया जाएगा। लोहा और प्लास्टिक को अलग-अलग कर जहां बेच दिया जाएगा, वहीं अन्य सूखे कचरे का जैवोपचार कर इसे छोटी कतरनों और मिट्टी में तब्दील कर दिया जाएगा। गीले कचरे से मौके पर ही खाद बनाई जाएगी, जबकि भवन निर्माण व मलबे को खदानों के गड्ढे भरने में इस्तेमाल किया जाएगा। कचरे के निष्पादन के लिए बड़ी पोर्टेबल मशीनरी लगाने की जरूरत होगी। एक प्लांटनुमा मशीन में कचरे को डाला जाएगा। इस मशीन में लगी कन्वेयर बेल्ट पर धीरे-धीरे कचरा आगे बढ़ेगा। यहां बड़े पंखों की सहायता से सूखे कचरे जैसे कतरनें, मिट्टी को अलग कर लिया जाएगा। इसके आगे की मशीन में चुंबक के लिए जरिए धातु के कणों को खींच लिया जाएगा।

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